Sunday, December 28, 2008

क्या शिक्षा पाने के लिए उन्हें अपनी रोटी देनी होगी???

बाल श्रम -आज के युग में सिर्फ़ किसी पार्टी के घोसना पत्र में शामिल होने वाला शब्द,एक ऐसी अंतर्राष्ट्रीय समस्या जिसमे हिंदुस्तान का नाम सबसे ऊँचा है,या किसी सामाजिक कार्यक्रम में इस्तेमाल होने वाला एक विषय मात्र ही नही रह गया है बल्कि बाल-श्रम आज के इस "जागो" युग में एक आन्दोलन बन गया है जिसके ख़िलाफ़ हर दिन कही कही पढने या सुनने को मिलता रहता है, पर इन सभी चीजों को देखकर मन में एक सवाल आता है की क्या सिर्फ़ इस बारे में चर्चा करने से ही सब ठीक हो जाएगा?मेरे इस सवाल का आप सबके पास बेहिचक जवाब है और वो है "नही|" हम अक्सर देखते है की एक बच्चा स्कूल जा रहा है और उसी के साथ उसकी ही उम्र का दूसरा बच्चा उसके बसते का बोझ उठाये उसके साथ जाता है पर उसे कक्षा में शामिल होने का हक नही है|क्या उसे अच्छी शिक्षा हासिल कर अपने कल को सुनहरा बनाने का कोई हक नही है???इस सवाल के जवाब में कुछ लोग कहते है की हम कर भी क्या सकते है ये तो हमेशा से ही होता रहा है|तो क्या हमे इसे ऐसे ही होता रहने देना चाहिए ??नही ना|हम सब जानते है के हमे इसे रोकने के लिए कदम उठाना चाहिए और इसी राह में कदम बढाते हुए किसी ने कहा है के हमे ऐसे स्थानों(जहा बाल श्रम होता है) पर जाना ही बंद कर देना चाहिए या ऐसे इंसानों से सामान लेना बंद कर देना चाहिए जो नन्हे मासूमो से उनका बचपन छिनते है,परन्तु इस सुझाव ने मेरे मन को एक अन सुलझी पहेली के जाल में दाल दिया है|मेरी परेशानी ये है के हर इंसान यहाँ तक के हमारे संविधान में भी बाल श्रम पर रोक लगाकर हर बच्चे को शिक्षा का हकदार बताया है परन्तु मेरा प्रशन ये है की यदि हम ऐसा करेंगे तो वो मासूम जो किसी तरह दो वक्त की रोटी कमाता है,अपना घर चलाता है अगर उस से सारे काम बंद करवा देगे तो वो अपना जीवन निर्वाह कैसे करेगा?? एक तरफ़ हम कहते है की "भूखे पेट भजन भी ना होये"और दूसरी तरफ़ हम एक ऐसे बच्चे जिसके पास तन ढकने तक को कपड़े भी नही है ,जिसे अपने आने वाले दिन के बारे में भी नही पता है के कल उसे कुछ मिलेगा भी या नही ऐसे बच्चे से उसके मुह का निवाला छीन कर,उस इंसान से दो वक्त की रोटी छुड़वाकर उसे A B C पढाना चाहते है? मैं ये नही कहती की उन्हें शिक्षा ना मिले पर मैं इस काम छुड़वाकर शिक्षा देने की बात का साथ नही दूंगी बल्कि चाहूंगी के उन्हें ऐसी शिक्षा दी जाए जिससे उनका ज्ञान भी बढे और घर भी चल सके|मैं आप सबसे भी यही पूछती हूँ के क्या उन मासूमो को शिक्षा ख़ुद व् अपने परिवार को भूखा रख कर ही मिल सकती है??क्या उन्हें इस स्वतंत्र देश में सुनहरा भविष्य पाने के लिए,अपना कल सुधारने के लिए ये बलिदान देना ही होगा? -प्रेरणा